गेम्स मेडल
खेल | परिणाम | खेल | इवेंट |
---|
खेल | परिणाम | खेल | इवेंट |
---|---|---|---|
रियो डी जेनेरियो 2016
|
#4 | Shooting | Air Rifle, 10 metres |
खेल | परिणाम | खेल | इवेंट |
---|---|---|---|
लंदन 2012
|
#16 | Shooting | Air Rifle, 10 metres |
खेल | परिणाम | खेल | इवेंट |
---|---|---|---|
बीजिंग 2008
|
#1 | Shooting | Air Rifle, 10 metres |
खेल | परिणाम | खेल | इवेंट |
---|---|---|---|
एथेंस 2004
|
#7 | Shooting | Air Rifle, 10 metres |
खेल | परिणाम | खेल | इवेंट |
---|---|---|---|
सिडनी 2000
|
#=11 | Shooting | Air Rifle, 10 metres |
अभिनव बिंद्रा जीवनी
अभिनव बिंद्रा ने 2008 में तब भारतीय खेल इतिहास में एक अलग मुक़ाम हासिल किया था जब वह ओलंपिक में भारत के लिए पहले व्यक्तिगत स्वर्ण पदक विजेता बने थे। ये एक ऐसा रिकॉर्ड है जो अभी भी उनके ही नाम है।
बीजिंग 2008 में पुरुषों की एयर राइफल स्पर्धा में उनकी जीत ने न केवल भारत को अंतरराष्ट्रीय शूटिंग मानचित्र पर खड़ा किया था, बल्कि देश में इस खेल को एक बड़ी प्रेरणा भी मिली थी।
अभिनव बिंद्रा के शानदार करियर में ओलंपिक स्वर्ण पदक का मुक़ाम सबसे ऊपर है, बिंद्रा के गौरवशाली करियर में ओलंपिक गोल्ड के अलावा कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स के साथ साथ वर्ल्ड चैम्पियनशिप का स्वर्ण और कई पदक शामिल हैं।
28 सितंबर 1982 को देहरादून में जन्मे इस ओलंपिक चैंपियन ने बेहद कम उम्र में ही टेलीविजन पर देख देख कर निशानेबाज़ों से प्रेरणा ली थी।
क़ामयाबी जल्द ही उनकी राह में आने लगी थी, इस भारतीय निशानेबाज़ ने 1998 कॉमनवेल्थ गेम्स में 15 साल की उम्र में ही हिस्सा लिया था और फिर 2000 में सबसे कम उम्र के भारतीय प्रतिभागी के तौर पर सिडनी ओलंपिक में भी देश का प्रतिनिधित्व किया।
इनकी क़ामयाबियों का नतीजा था किअभिनव बिंद्रा को 2000 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया, और एक साल बाद 18 साल की उम्र में वह राजीव गांधी खेल रत्न पाने वाले सबसे कम उम्र के एथलीट बने।
यह एक सफल साल था क्योंकि उन्होंने अलग अलग स्पर्धाओं में देश के लिए छह स्वर्ण पदक जीते और विश्व कप में कांस्य पदक जीता, जो एक तत्कालीन जूनियर रिकॉर्ड स्कोर था। फिर उन्होंने 2002 के कॉमनवेल्थ गेम्स में 10 मीटर एयर राइफल की जोड़ी में स्वर्ण और एकल में रजत जीता।
अभिनव बिंद्रा ने 2004 ओलंपिक में 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में एक नया ओलंपिक रिकॉर्ड बनाया, लेकिन ये रिकॉर्ड ज़्यादा दिन रह नहीं पाया क्योंकि किनान झू और ली जी ने इसे जल्दी ही तोड़ दिया था। इस दौरान बिंद्रा चोटिल भी हुए और फिर उन्हें एक साल के लिए बाहर बैठना पड़ा।
अभिनव बिंद्रा ने इसके बाद 2006 में धमाके के साथ वापसी की और ISSF विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता, इस तरह 2008 बीजिंग ओलंपिक के लिए भी उन्हें टिकट मिल गया था।
उस समय26 वर्षीय इस निशानेबाज़ ने क्वालिफाइंग राउंड में 596 स्कोर के साथ फाइनल में प्रवेश किया, लेकिन 10.7 शॉट के साथ फाइनल में अभिनव और हेनरी हक्किन का स्कोर टाई रहा और दोनों को ही स्वर्ण पदक हासिल हुआ।
इतिहास रचने के बाद अभिनव बिंद्रा ने हिन्दुस्तान टाइम्स के साथ बातचीत में तब कहा था, ‘’मैंने अपनी ज़िंदगी के 10 बेहतरीन शॉट्स लगाए थे। जिस तरह से मैंने अपनी टाइमिंग और तकनीक के साथ शॉट्स लगाए, वह सही मायनों में मेरी ज़िंदगी के 10 बेहतरीन शॉट्स थे।‘’
उन्हें 2009 में उनके प्रयासों के लिए भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
एक शूटर के लिए सबसे ऊंचे मुक़ाम पर पहुंचने के बाद भी मानो अभिनव बिंद्रा संतुष्ट नहीं थे, आने वाले सालों में भी उन्होंने अपना बेहतरीन खेल जारी रखा। 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स में गगन नांरग के साथ उन्होंने 10 मीटर युगल स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीता और उसी इवेंट के व्यक्तिगत स्पर्धा में रजत पदक भी अपने नाम किया।
अगले साल उन्होंने एशियन गेम्स में भी अपना पहला पदक जीता, जहां टीम इवेंट में उन्हें रजत पदक मिला। इसके बाद एशियन शूटिंग चैंपियनशिप में भी बिंद्रा ने स्वर्ण पदक पर कब्ज़ा जमाया।
हालांकि 2012 लंदन ओलंपिक में उनका फ़ॉर्म अच्छा नहीं था और उम्मीदें स्वाभाविक रूप से ज़्यादा थीं, लेकिन वह चार साल पहले के अपने प्रदर्शन को दोहरा नहीं पाए और वह फाइनल में जगह बनाने में नाकाम रहे। हालांकि 2012 ओलंपिक में उनके हमवतन और साथी गगन नारंग, विजय कुमार ने जहां शूटिंग में पदक जीते तो सुशील कुमार, मैरी कॉम और साइना नेहवाल के पदकों ने भी उनकी मायूसी को कम कर दिया।
2014 कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्हें एक और स्वर्ण मिला, जबकि एशियन गेम्स में दो कांस्य पदक आए। ये उनके लिए 2016 रियो ओलंपिक का टिकट दिलाने के लिए काफ़ी था, जो उनके करियर का आख़िरी ओलंपिक रहा, क्योंकि इसके बाद उन्होंने संन्यास ले लिया था।
अभिनव बिंद्रा एक और ओलंपिक पदक हासिल करने के बहुत करीब पहुंच गए थे, अभिनव बिंद्रा चौथे स्थान पर रहे थे। लेकिन इसके बाद भी उन्होंने कहा था कि यह किसी भी ओलंपिक खेलों के लिए उनका सबसे सुखद अनुभव था।
शूटिंग से संन्यास लेने के बाद बिंद्रा ने व्यवसाय के क्षेत्र में अपना ध्यान केंद्रित किया क्योंकि उन्होंने कोलोराडो विश्वविद्यालय से BBA की डिग्री प्राप्त की और फिर उन्हें SRM और काजीरंगा विश्वविद्यालयों द्वारा साहित्य और दर्शन में दो मानद डॉक्टरेट की उपाधि से भी सम्मानित किया गया।
उन्होंने अभिनव बिंद्रा फाउंडेशन नामक एक गैर-लाभकारी संगठन शुरू किया, एक ऐसी पहल जिसका उद्देश्य खेल विज्ञान और प्रौद्योगिकी का उपयोग करके एथलीटों को मजबूत और अधिक जागरूक बनाना है।
इसके अलावा वह अंतर्राष्ट्रीय खेल शूटिंग महासंघ (ISSF) और अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) के एथलीट आयोगों का हिस्सा थे, जहाँ उन्होंने प्रतिभागियों के मुद्दों को सामने लाया और उनके विकास में मदद की।
उन्होंने अपनी आत्मकथा भी जारी की है जिसका शीर्षक ‘’ए शॉट एट हिस्ट्री: माय ऑब्सेसिव जर्नी टू ओलम्पिक गोल्ड’’ है, जिसमें उनके प्रशिक्षण के तरीकों का विवरण दिया गया है।
अभिनव बिंद्रा की जीवनी पर बॉलीवुड की एक बायोपिक भी बन रही है, जिसमें इस दिग्गज शूटर के करियर को शानदार तरीके से दिखाया जाएगा, इस फ़िल्म में अभिनेता हर्षवर्धन कपूर सिल्वर स्क्रीन पर अभिनव बिंद्रा का अभिनय करेंगे।