गेम्स मेडल
खेल | परिणाम | खेल | इवेंट |
---|
खेल | परिणाम | खेल | इवेंट |
---|---|---|---|
रियो डी जेनेरियो 2016
|
#2 | Badminton | Women's Singles |
पीवी सिंधु जीवनी
पुसरला वेंकट सिंधु 21वीं सदी की सबसे प्रसिद्ध भारतीय बैडमिंटन स्टार हैं। पीवी सिंधु बीडब्ल्यूएफ विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक और ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी हैं। हम बात कर रहे हैं विश्व चैंपियन की जो 21वीं सदी में भारतीय बैडमिंटन की सबसे बड़ी स्टार खिलाड़ी हैं।
साथी बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल और मुक्केबाज़ मैरी कॉम के साथ, खेल जगत में वह भारत की चमकती सितारों में से एक हैं। वर्तमान रैंकिंग में वह दुनिया में सातवें स्थान पर हैं। शटलर पीवी सिंधु बैडमिंटन में भारत की सबसे बड़ी उम्मीदों में से एक बनी हुई हैं, जहां टोक्यो 2020 के लिए देश तैयारी कर रहा है।
पीवी सिंधु का जन्म 5 जुलाई, 1995 को आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद में हुआ था, उनके माता-पिता राष्ट्रीय स्तर के वॉलीबॉल खिलाड़ी थे, उनके पिता पीवी रमाना ने 1986 के सियोल एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीता था। नतीजतन शुरू से ही उनके चारों ओर खेल ही रहा है।
भले ही उनके माता-पिता वॉलीबॉल खिलाड़ी रहे हों लेकिन बैडमिंटन में पुलेला गोपीचंद के प्रदर्शन को देखकर पीवी सिंधु ने अपने हाथ में बैडमिंटन थाम लिया और आठ साल की उम्र में ही वो इस खेल को नियमित रूप से खेलने लगीं।
समय बदला और युवा पीवी सिंधु ने पुलेला गोपीचंद की अकादमी से जुड़ गईं, जहां पीवी सिंधु का खेल देखने के बाद गोपीचंद हैरान थे।
अखिल भारतीय रैंकिंग चैंपियनशिप और सब-जूनियर नेशनल जैसे जूनियर बैडमिंटन खिताब जीतकर, पीवी सिंधु ने ये स्पष्ट कर दिया कि वो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ने के लिए तैयार हो चुकी हैं।
2009 में, पीवी सिंधु ने सब-जूनियर एशियाई बैडमिंटन चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता और एक साल बाद, उन्होंने ईरान में अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन चैलेंज में एकल स्पर्धा में रजत पदक जीता।
पीवी सिंधु के करियर ग्राफ की ख़ासियतों में से एक है, साल-दर-साल होने वाली वार्षिक इवेंट्स में उनका लगातार सुधार सराहनीय है। 2012 की एशियन जूनियर चैंपियनशिप में ये पहली बार स्पष्ट हुआ, जब उन्होंने एक साल पहले उसी टूर्नामेंट में कांस्य पदक जीता और फिर अगले साल स्वर्ण पदक जीता।
इस पैटर्न को विश्व चैंपियनशिप जैसे बड़े टूर्नामेंट में भी दोहराया गया था। 2013 और 2018 के बीच दो कांस्य और दो रजत पदक के बाद, उन्होंने आखिरकार 2019 में जापान की नोज़ोमी ओकुहारा को 21-7, 21-7 से हराकर स्वर्ण पदक पर कब्ज़ा किया, जिसकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रशंसा भी की थी।
2014 में अपने पहले राष्ट्रमंडल खेलों (CWG) में, पीवी सिंधु ने महिला एकल में कांस्य जीता। चार साल बाद, गोल्ड कोस्ट में 2018 राष्ट्रमंडल खेलों में उन्होंने एकल में रजत और मिश्रित टीम बैडमिंटन स्पर्धा में स्वर्ण पदक हासिल किया।
उनकी अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि रियो 2016 में रजत पदक बनी हुई है। राउंड -16 में ताई त्ज़ु यिंग को बाहर करने के बाद उन्होंने दूसरी वरीयता प्राप्त वांग यिहान को क्वार्टर फाइनल और जापानी स्टार नोज़ोमी ओकुहारा को सेमीफाइनल में हराया। फाइनल में वो गोल्ड मेडल जीतने से चूक गईं, जहां उन्हें स्पेन की कैरोलिना मारिन से हार का सामना करना पड़ा था।
हालांकि भारतीय शटलर ने तीनों सेटों में स्पैनिश खिलाड़ी को ज़ोरदार टक्कर दी, लेकिन उनका रजत पदक भी देश के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी।
अपनी अंतरराष्ट्रीय सफलता के अलावा, पीवी सिंधु घरेलू प्रीमियर बैडमिंटन लीग में भी हिस्सा लेती हैं, जो हैदराबाद हंटर्स के लिए कप्तान के तौर पर खेल रही हैं।