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जहां COVID-19 महामारी ने दुनिया को ठहरने पर मजबूर कर दिया, वहीं कुछ भारतीय खेल सितारों ने इस इस स्थिति में भी अपना शानदार प्रदर्शन जारी रखा।
इस पूरे साल जब COVID-19 महामारी के कारण अधिकांश खेल इवेंट्स को रोक दिया गया या आगे के लिए स्थगित कर दिया गया था, तब कुछ खिलाड़ियों ने सीमित अवसरों का फायदा उठाते हुए भारत के लाखों फैंस को खुश करने का अवसर नहीं गंवाया।
जैसा कि हम नए साल के आने की उलटी गिनती शुरू कर चुके हैं, ऐसे में यहां पर हम साल के कुछ ऐसे भारतीय खेल में हुए पलों पर नज़र डालेंगे, जिसने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है।
दो साल तक कोर्ट से दूर रहने के बाद (पहले घुटने की चोट के कारण और फिर पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेट टीम के कप्तान शोएब मलिक (Shoaib Malik) के साथ अपने बेटे के जन्म के कारण) भारतीय टेनिस स्टार सानिया मिर्ज़ा (Sania Mirza) वापसी कर रही थीं। सानिया ने जनवरी में हुए होबार्ट इंटरनेशनल (Hobart International) WTA इवेंट में बेहतरीन अंदाज में वापसी की।
महिला युगल में यूक्रेन की नादिया किचेनोक (Nadiia Kichenok) के साथ जोड़ी बनाकर सानिया मिर्जा ने वापसी करते हुए ख़िताबी जीत हासिल की।
टूर्नामेंट में दूसरी वरीयता प्राप्त झांग शुआई (Zhang Shuai) और पेंग शुआई (Peng Shuai) की चीनी जोड़ी के खिलाफ फाइनल में मिर्जा और किचेनोक ने 6-4, 6-4 से जीत दर्ज की।
हालाँकि सानिया मिर्ज़ा ओलंपिक के लिए अपनी तैयारी शुरू करने की उम्मीद कर रही थीं, लेकिन महामारी ने उन्हें एक बार फिर घर पर रहने के लिए मजबूर कर दिया।
2020 के सीज़न में ही देश की दिग्गज खिलाड़ी ने भारत को इतिहास में पहली बार फेड कप प्ले-ऑफ़ में पहुंचाया।
एशिया / ओशिनिया के ग्रुप में प्रतिस्पर्धा करते हुए भारतीय टीम चीन के बाद दूसरे स्थान पर रही। अगले साल अप्रैल के लिए निर्धारित प्ले-ऑफ में भारतीय टीम ने जगह बना ली है।
सानिया मिर्ज़ा की अगुवाई में भारतीय टीम ने दक्षिण कोरिया, चीनी ताइपे, उज्बेकिस्तान और इंडोनेशिया को हराया, जबकि दुबई के एविएशन क्लब टेनिस सेंटर में चीन से हार गई।
भारत 16 से 17 अप्रैल 2021 तक लातविया से भिड़ेगा, जिसमें जीतने वाली टीम 2022 संस्करण के लिए क्वालीफाइंग दौर में जाएगी।
इस साल भारतीय महिला फुटबॉल टीम की प्रमुख खिलाड़ियों में से एक बाला देवी (Bala Devi) ने स्कॉटिश फुटबॉल की दिग्गज टीम रेंजर्स वुमेंस एफसी के साथ 18 महीने के अनुबंध पर हस्ताक्षर किया, जो देश के बाहर एक पेशेवर अनुबंध पर हस्ताक्षर करने वाली पहली भारतीय महिला फुटबॉलर हैं।
भारतीय टीम की स्ट्राइकर बाला देवी ने इस महीने की शुरुआत में मदरवेल महिला एफसी पर 9-0 की अपनी जीत में रेंजर्स के लिए अपना पहला गोल किया।
जब अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ (FIH) ने 2019 में एफआईएच प्रो लीग शुरू किया, तो भारतीय हॉकी टीम की अनुपस्थिति ने भारतीय फैंस को मायूस कर दिया था।
लेकिन दूसरे संस्करण में मनप्रीत सिंह (Manpreet Singh) की कप्तानी वाली भारतीय टीम ने प्रतियोगिता पर एक अलग छाप छोड़ी, हालांकि उनका अभियान महामारी के कारण बीच में ही रुक गया।
भारत ने प्रो-लीग में दुनिया की नंबर 3 नीदरलैंड पर 5-1 की शानदार जीत दर्ज करते हुए लीग के शुरूआत की। उसके बाद भारत ने दूसरे मुक़ाबले में भी पेनल्टी शूटआउट में 3-1 से हरा दिया, जो मैच 3-3 से टाई हो गया था।
भारत ने लीग में तो उस समय दुनिया की नज़रे अपनी ओर खींच ली, जब उन्होंने अपने अगले टाई में विश्व चैंपियन बेल्जियम की मेजबानी की। जहां उन्होंने पहले मैच में 2-1 से शानदार जीत दर्ज की, जबकि दूसरे मुक़ाबले में रेड डेविल्स ने 3-2 से मुक़ाबला अपने नाम किया।
भारतीय हॉकी टीम को अपने अगले मुक़ाबले में ऑस्ट्रेलिया से 4-3 से हार का सामना करना पड़ा। हालांकि ग्राहम रीड (Graham Reid) की देख-रेख में खेल रही भारतीय टीम ने दूसरे मैच में ही कूकाबुरा के खिलाफ पेनल्टी शूटआउट में 3-1 से जीत दर्ज की।
भले ही महामारी ने टीम को आगे के मुक़ाबले खेलने से रोक दिया हो लेकिन भारतीय हॉकी टीम आने वाले महीनों में अपने ओलंपिक साल की शुरुआत के समय इसी तरह का प्रदर्शन करने के लिए उत्सुक होगी।
2019 AIBA विश्व चैंपियनशिप में अपनी प्रतिभा की झलक दिखाने वाले मुक्केबाज़, इस साल भी शानदार फॉर्म में थे। नौ भारतीयों ने जॉर्डन के अम्मान में हुए एशियन ओलंपिक मुक्केबाज़ी क्वालिफ़ायर्स में टोक्यो ओलंपिक के लिए अपनी टिकट कन्फर्म की।
भारतीय दिग्गज मुक्केबाज़ एमसी मैरी कॉम (MC Mary Kom) (51 किग्रा) की नेतृत्व में टोक्यो 2020 जाने वाली भारतीय मुक्केबाज़ी टीम में विश्व चैंपियनशिप के रजत पदक विजेता अमित पंघल (Amit Panghal) (53 किग्रा), मनीष कौशिक (Manish Kaushik) (63 किग्रा), विकास कृष्ण (Vikash Krishan) (69 किग्रा), आशीष कुमार (Ashish Kumar) (75 किग्रा), सतीश कुमार (Satish Kumar) (+ 91 किग्रा), लवलीना बोर्गोहेन (Lovlina Borgohain) (69 किग्रा), सिमरनजीत कौर (Simranjit Kaur) (60 किग्रा) और पूजा रानी (Pooja Rani) (75 किग्रा) शामिल हैं।
अगर भारतीय मुक्केबाज़ अगले साल होने वाले विश्व ओलंपिक क्वालिफ़ायर्स में शेष चार भार वर्गों में भी क्वालिफाई करते हैं, तो ये संख्या बढ़ सकती है।
जिस साल में भारतीय टेबल टेनिस खिलाड़ियों को खेल के लिए समय निकालना मुश्किल हो गया था, उसी साल अचंता शरत कमल (Achanta Sharath Kamal) ने विश्व टूर खिताब जीता और एक दशक के लंबे इंतजार को खत्म किया।
मस्कट में 38 वर्षीय ने 2010 में मिस्र ओपन खिताब के बाद से दौरे पर अपना पहला एकल खिताब जीता। फाइनल में शरत कमल ने दुनिया के नंबर 26 और शीर्ष वरीयता प्राप्त पुर्तगाल के मार्कस फ्रीटास को 6-11, 11-8, 12-10, 11-9, 3-11, 17-15 से हराया।
महामारी के कारण टेनिस कैलेंडर पर भी प्रभाव पड़ा। ऑस्ट्रेलियन ओपन को योजना के अनुसार आयोजित करने की तैयारी शुरू हो गई थी जबकि यूएस ओपन और रोलैंड गैरोस को बाद के लिए स्थगित कर दिया गया।
यूएस ओपन में भारत के सुमित नागल (Sumit Nagal) ने अपने प्रतिभा की झलक दिखाई और स्लैम में अपनी पहली मुख्य ड्रॉ जीत दर्ज की।
संयुक्त राज्य अमेरिका के ब्रैडली क्लान पर उनकी 6-1, 6-3, 3-6, 6-1 से जीत ने नया किर्तीमान रचा। ग्रैंड स्लैम में सिंगल्स में सोमदेव देववर्मन (Somdev Devvarman) के बाद मुख्य ड्रॉ में जीत दर्ज करने वाले सुमित नागल दूसरे खिलाड़ी थे।
हालांकि, हरियाणा के इस खिलाड़ी को डोमिनिक थिएम से हार का सामना करना पडा। सुमित नागल ने अपने प्रदर्शन और जीत की भूख से प्रभावित किया।
दुनिया में 136वें स्थान पर मौजूद सुमित नागल अपनी लय बरकरार नहीं रख सके और प्रजनेश गुणेश्वरन ने एटीपी चैलेंजर सर्किट पर कुछ अच्छे प्रदर्शन के दम पर 129 वां स्थान हासिल कर उनसे आगे हो गए।
जब सभी खेल जगत में कुछ न कुछ अच्छा हो ही रहा था, तो भारतीय पहलवान कहां पीछे रहने वाले थे। ज्यादातर बड़े नाम वाले स्टार पहलवानों ने 2020 के सीज़न की शुरुआत रोम में मैटियो पेलिकॉन रैंकिंग सीरीज में पदक जीतकर और एशियन कुश्ती चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन के साथ की थी।
लेकिन एक पहलवान ने ऐसा कर दिखाया, जिसने सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लिया। वो कोई और नहीं बल्कि 19 साल की अंशु मलिक (Anshu Malik) थी।
इस महीने की शुरुआत में व्यक्तिगत विश्व कप में प्रतिस्पर्धा करते हुए, मध्य प्रदेश में जन्मी महिला पहलवान ने शानदार प्रदर्शन किया और 57 किलोग्राम भार वर्ग में रजत पदक अपने नाम किया।
साक्षी मलिक (Sakshi Malik), नरसिंह यादव (Narsingh Yadav) और दीपक पूनिया (Deepak Punia) जैसे बड़े नामों की विशेषता के बावजूद, अंशु मलिक एकमात्र भारतीय पहलवान थीं, जिन्होंने बेलग्रेड प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक मुक़ाबले में जगह बनाई।
इस साल खेल जगत ने अपने सबसे बड़े सितारों को खो दिया। जहां कोबे ब्रायंट (Kobe Bryant), डिएगो माराडोना (Diego Maradona) और पावलो रोसी (Paolo Rossi) ने आखिरी सांस ली, वहीं भारतीय खिलाड़ियों और फैंस ने भी इन दिग्गजों की मौत पर शोक जताया।
हॉकी में तीन बार के स्वर्ण पदक विजेता बलबीर सिंह सीनियर (Balbir Singh Sr.) ने 25 मई को अंतिम सांस ली, जबकि भारतीय फुटबॉल दिग्गज चुन्नी गोस्वामी (Chunni Goswami) और पीके बनर्जी (PK Banerjee) ने भी इसी साल हम सभी को हमेशा हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।
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