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अचंत शरत कमल ओमान ओपन में गोल्ड मेडल जीतने के साथ साथ फ़ॉर्म में भी लौटे और अब रैंकिंग में भी हो सकता है बड़ा फेरबदल
पिछले कुछ समय में भारतीय टेबल टेनिस की हर खबर में अचंत शरत कमल (Achanta Sharath Kamal) के फॉर्म में आना था। अपने ओलंपिक के सपने को एक आकर देते हुए शरत कमल ने एक बार फिर खेल में धावा बोला था। COVID-19 के प्रकोप ने हालांकि उस रफ़्तार को धीमा ज़रूर किया है लेकिन शरत जैसा खिलाड़ी चट्टान के आगे भी नहीं रुकने वाला।
लॉकडाउन होने से पहले शरत कमल ने ओमान ओपन में हिस्सा लिया था और अपने अच्छे प्रदर्शन की बदौलत सभी के दिलों के साथ गोल्ड मेडल भी जीता था। इसी के साथ हंगरियन ओपन में इसी खिलाड़ी ने मेंस डबल्स में सिल्वर मेडल जीत एक बार फिर अपने फॉर्म में होने का प्रमाण पेश किया था।
ओमान में खिताब अपने नाम करने के बाद शरत कमल के हौसलों में एक नई जान तो ज़रूर आई है। ओलंपिक चैनल से बात करते हुए इस खिलाड़ी ने कहा “सच कहूं तो मुझे डर लग रहा था।”
उन्होंने आगे कहा “ओलंपिक क्वालिफायर्स में अभी तीन हफ्ते थे और मैं और ज़्यादा अभ्यास करना चाहता था। उसके बाद मेरी चेन्नई से सीधी मस्कट के लिए फ्लाइट थी।”
गौरतलब है कि एशियन ओलंपिक क्वालिफिकेशन टूर्नामेंट 6-12 अप्रैल के बीच खेला जाना था लेकिन कोरोना वायरस की वजह से इसे भी रोकना पड़ा।
37 वर्षीय ये खिलाड़ी फिलहाल चेन्नई में अपने घर पर है और लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं। पिछली जीत के बाद माना जा रहा है कि शरत कमल टॉप 30 खिलाड़ियों में अपना नाम दर्ज करा लेंगे। हालांकि रैंकिंग में बढ़ोतरी से ज़्यादा उन्हें अपने फॉर्म में वापिस लौटने की ख़ुशी है। इस बारे में उन्होंने कहा “यह दोनों जीत सही समय पर आईं हैं। रियो ओलंपिक के बाद मुझे इतना पता चल गया कि कड़े वर्कआउट के बाद मेरे शरीर को आकर में आने में कम से कम दो महीने तो लग ही जाएंगे।”
शरत कमल ने आगे बताया “मैंने नवंबर में यह प्रक्रिया शुरू की थी और उसी समय मैं ओलंपिक की तैयारियों में भी लग गया था। इस वजह से मेरे लिए परिणाम बहुत ज़्यादा चौंकाने वाले नहीं रहे थे। मैं टूर के दौरान भी अच्छा कर रहा था। इससे मुझे आश्वासन मिला कि मैं जो ट्रेनिंग कर रहा था वह सहीा थी।”
पिछले कुछ समय से शरत कमल ने साथियान गणानाशेखरन (Sathiyan Gnanasekaran) के साथ जोड़ी बनाकर कई मुकाम हासिल किए हैं। हंगरियन ओपन का सिल्वर मेडल इनके सफल होने का सबूत भी बना।
शरत ने आगे साझा किया “मुझे लगता है खेल के दौरान हम एक दूसरे का अच्छा साथ देते हैं। हम दोनों का तरीका अलग है और इससे हमे फायदा भी होता है। मेरे खेलने का तरीका आक्रामक है और साथियान टेबल के नज़दीक रहकर तेज़ी से आने वाले शॉट्स को रोकते हैं। मैं ज़्यादातर पीछे होकर खेलना पसंद करता हूं और बॉल के आने का इंतज़ार करता हूं ताकि अपने अच्छे शॉट्स मार सकूं।”
उन्होंने आगे कहा “मेरे पीछे से और उनके आगे से खेलने की वजह से हमारी जोड़ी ज़्यादा सफल हुई है और हम दोनों का तालमेल भी अच्छा हुआ है।”
प्रतियोगिताओं में मेडल जीतने के साथ अपनी फॉर्म को पकड़ में रखना इस खिलाड़ी के लिए बहुत अहम था। लॉकडाउन की स्थिति सुधरने के बाद अचंत शरत कमल ज़रूर अपने सपने को दोबारा से शुरू कर उसकी ओर बढ़ना चाहेंगे और हम उनसे अच्छे परिणामों की भी उम्मीद लगा सकते हैं।
संस्थापक साथी