{{roofline.primary}}
{{title}}
एशियाई खेलों से लेकर विश्व चैंपियनशिप तक पूनिया ने करीब-करीब सभी प्रमुख अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीते हैं।
भारत के सर्वश्रेष्ठ पहलवान बजरंग पूनिया (Bajrang Punia) का जन्म हरियाणा में झज्जर जिले के खुड़न गांव में हुआ था। सात साल की कच्ची उम्र में उन्होंने पहली बार अपने पिता के सहयोग से एक 'अखाड़े' (पारंपरिक कुश्ती का मैदान) में कदम रखा। भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) की सुविधा में प्रशिक्षण हासिल करने के लिए उनका परिवार 2015 में सोनीपत चला गया।
ओलंपिक के अलावा पूनिया ने अन्य दूसरी प्रमुख अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में कम से कम एक बार पदक जीता है। वर्तमान में वो 65 किग्रा भारवर्ग में दुनिया में पहले स्थान पर हैं। पूनिया टोक्यो ओलंपिक में भारत के लिए सबसे मजबूत पदक दावेदारों में से एक हैं।
आइये नजर डालते हैं उनके पांच सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शनों पर-
2019 की विश्व चैंपियनशिप में पूनिया ने मंगोलिया के तुल्गा ओचिर (Tulga Ochir) को 8-7 से हराते हुए लगातार दूसरा पदक जीता।
वो शुरुआत में 2-0 से पीछे चल रहे थे और ओचिर ने चार अंक और हासिल कर इस अंतर को 6-0 कर दिया। हालांकि, उन्होंने दूसरे दौर में शानदार वापसी की और लगातार आठ अंक अर्जित करते हुए कांस्य पदक हासिल किया। इस जीत ने उन्हें टोक्यो ओलंपिक में भी स्थान दिलाया।
वो विश्व चैंपियनशिप में तीन पदक जीतने वाले पहले भारतीय पहलवान हैं। उन्होंने 2013 में बुडापेस्ट में कांस्य (60 किग्रा), 2018 में बुडापेस्ट में रजत (65 किग्रा) और 2019 में नूर सुल्तान में कांस्य (65 किग्रा) पदक अपने नाम किया।
पूनिया ने जकार्ता के फाइनल में जापान के तकातनी डाइची (Takatani Daichi) को 11-8 से हराकर एशियाई खेलों के 18वें संस्करण में भारत के लिए पहला स्वर्ण पदक जीता।
यह उनका एशियाई खेल में पहला स्वर्ण पदक था। उन्होंने 2014 में इंचियोन में रजत पदक जीता था। इस मुकाबले में उन्होंने अपना पूरा दमखम लगा दिया। पहले राउंड के बाद स्कोर 6-6 से बराबरी पर था। दाइची ने पहले उन्हें एशियाई चैंपियनशिप में हराया था। इस समय पूनिया के पास उस हार का बदला लेने का पूरा मौका था।
जापानी पहलवान लगातार उसके टखने को निशाना बना रहा था, लेकिन उनके तेज फुटवर्क ने विपक्षी को हावी नहीं होने दिया। अच्छी बढ़त लेने के बाद उन्होंने जीत के साथ मुकाबला खत्म किया और स्वर्ण पदक पर दाव लगाया
पूनिया ने स्वर्ण पदक जीतकर 2019 में एशियाई चैंपियनशिप की पदक तालिका में भारत का खाता खोला। उन्होंने चीन के शिआन में आयोजित फाइनल में सयातबेक ओकासोव (Sayatbek Okassov) को 12-7 से हराया।
कजाखस्तान के पहलवान ने 7-2 की बढ़त बना ली थी, लेकिन भारतीय ने स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाने के लिए जोरदार वापसी की। उन्होंने ओकासोव को चालाकी से मात देते हुए लगातार 10 अंक बटोरे। वह पूरे टूर्नामेंट में शानदार फॉर्म में थे। उन्होंने सेमीफाइनल में उज्बेकिस्तान के सिरोजिद्दीन खसानोव (Sirojiddin Khasanov) को 12-1 से हराया था। शुरुआती राउंड में उन्होंने ईरान के पेमैन बियाबानी (Peyman Biabani) और श्रीलंका के चार्ल्स फर्न (Charles Fern) को हराया था।
2017 एशियाई चैम्पियनशिप के फाइनल में कोरिया के ली सेउंग चुल (Lee Seung Chul) को 6-2 से हराकर बजरंग पूनिया ने स्वर्ण पदक जीता।
एक बार फिर वो ब्रेक के समय 2-0 से पिछड़ रहे थे, लेकिन वापसी करते हुए प्रतिद्वंद्वी को और अंक अर्जित नहीं करने दिए। उन्होंने पहला अंक हासिल करने के लिए चुल को मैट से बाहर धकेल दिया और फिर दो अंक हासिल करने के लिए नीचे पटक दिया। उन्होंने जोश के साथ आक्रमण जारी रखा और कोरियाई को मैच में वापस नहीं करने दी।
अक्टूबर, 2018 में बजरंग पूनिया विश्व चैम्पियनशिप के फाइनल तक पहुंचने वाले केवल चौथे भारतीय बने। लेकिन, 65 किग्रा भार वर्ग के फाइनल में जापानी प्रतिद्वंदी ताकुटो ओटोगुरो (Takuto Otoguro) को पछाड़ने के लिए उनके प्रयास पर्याप्त नहीं थे। इस कारण उन्हें 16-9 से हार का सामना करना पड़ा। प्रतिद्वंदी ने 19 वर्षीय पूनिया के बाएं पैर पर हमला किया, जिसका उनके पास कोई जवाब नहीं था। इस तरह ओटोगुरो सिर्फ 19 में जापान के सबसे युवा विश्व चैंपियन बन गये।
चार अंकों के थ्रो ने उन्हें 5-0 से बढ़त दिला दी और बजरंग मैच की शुरुआत में ही पिछड़ गए। उन्होंने ब्रेक के समय इस अंतर को 7-6 तक पाट दिया, लेकिन अंततः उन्हें रजत पदक से समझौता करना पड़ा। क्योंकि, जापानी ने बाएं पैर पर हमला जारी रखा और बजरंग को मुकाबला करने के लिए संघर्ष करना पड़
संस्थापक साथी