पूर्व मिडफील्डर और भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान कार्लटन चैपमैन (Carlton Chapman) का सोमवार को बेंगलुरु के एक अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वो 49 वर्ष के थे।
तेज दर्द की शिकायत के बाद रविवार देर रात चैपमैन को अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
उनके पूर्व भारतीय साथी ब्रूनो कॉटिन्हो (Bruno Coutinho) ने पीटीआई को बताया, “मुझे आज सुबह उनके एक दोस्त का फोन आया कि चैपमैन का निधन हो गया है। वो एक खुशमिजाज इंसान थे, जो हमेशा मुस्कुराते रहते थे और दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहते थे।”
पीके बनर्जी (PK Banerjee) और चुन्नी गोस्वामी (Chuni Goswami) के बाद 2020 में मरने वाले कार्लटन चैपमैन भारतीय फुटबॉल में तीसरा उल्लेखनीय नाम है।
चैपमैन का क्लब करियर भी शानदार रहा है, जहां उन्होंने ईस्ट बंगाल, जेसीटी और एफसी कोच्चि के लिए खेला।
भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान के रूप में, चैपमैन ने 1997 में दक्षिण एशियाई फुटबॉल महासंघ (SAFF) गोल्ड कप टीम का नेतृत्व किया। जहां भारतीय टीम ने ख़िताबी जीत हासिल की।
1993 में कोलकाता के फुटबॉल क्लब ईस्ट बंगाल में शामिल होने से पहले 1990 के दशक की शुरुआत में वो जमशेदपुर के प्रसिद्ध टाटा फुटबॉल अकादमी में आए थे।
ईस्ट बंगाल में उनके करियर का सबसे शानदार पल तब देखने को मिला, जब उन्होंने इराकी क्लब अल ज़वरा के खिलाफ 4 गोल किए और टीम को 6-2 से जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
चैपमैन ने पंजाब स्थित क्लब जेसीटी के साथ भी शानदार प्रदर्शन किया। 1995 में उनके साथ जुड़कर, उन्होंने भाईचुंग भूटिया (Bhaichung Bhutia) और आईएम विजयन (Ramana Vijayan) के साथ 14 ट्राफियां जीतीं।
पूर्व मिडफील्डर ने फिर एफसी कोच्चि का 1997 में रूख किया और आईएम विजयन, रमना विजयन और जो पॉल (Jo Paul) के साथ एक मजबूत टीम बनाई लेकिन सिर्फ एक सीज़न के बाद वो ईस्ट बंगाल लौट आए। 2001 में जब चैपमैन 30 वर्ष के हुए तब उन्होंने संन्यास ले लिया।
चैपमैन ने फिर अपना ध्यान कोचिंग पर लगा दिया। चैपमैन शिलांग में रॉयल वाहिंगदोह क्लब के मैनेजर बन गए। उन्होंने उस क्लब को तीन स्थानीय खिताब दिलाए।
अपनी असामयिक मृत्यु से पहले चैपमैन केरल के कोझीकोड में क्वार्ट्ज एफसी में टेक्निकल डायरेक्टर के पद पर कार्यरत थे।