अब जब दुनिया भर में खेल दोबारा से शुरू हो गया है तो ऐसे में पैरालंपिक कमिटी ऑफ़ इंडिया (Paralympic Committee of India – PCI) की अध्यक्षदीपा मलिक (Deepa Malik) को आशा है कि पैरा स्पोर्ट्स भी जल्द ही गति पकड़ लेगा।
PCI का मानना है कि आने वाले इवेंट महत्वपूर्ण हैं और भारतीय पैरा एथलीटों को ओलंपिक गेम्स का कोटा हासिल करने के मौके भी मिलेंगे। ग़ौरतलब है कि यह कोटा मिनिमम क्वालिफिकेशन स्टैण्डर्ड (Minimum Qualification Standard – MQS) के अंतर्गत आते हैं।
ओलंपिक चैनल से बात करते हुए दीपा ने कहा “पैरा एथलीटों के लिए टोक्यो पैरालंपिक गेम्स में भाग लेने में अभी समय है।”
“हमे कोटा मिलेगा, न कि गेम्स के लिए बर्थ। आपके देश को कोटा उस हिसाब से मिलता है जिस हिसाब से आपने A लेवल क्वालिफिकेशन में प्रदर्शन किया होता और साथ ही आपके MQS को भी गिना जाता है।”
“तो इसमें ऐसा नहीं होता जिसने क्वालिफिकेशन को पार किया है वह गेम्स के लिए जाएगा ही जाएगा। यहां सस्पेंस तब तक बना रहेगा जब तक कोटा मिल नहीं जाता।”
कोरोना वायरस (COVID-19) से फैलाई हुई महामारी की वजह से अब PCI को खिलाड़ियों पर काम करने का ज़्यादा मौका मिल गया है। ऐसे में कमीटी बेहतर काम कर खिलाड़ियों को टोक्यो 2020 के लिए कोटा दिलाने की जी तोड़ कोशिश करेगी।
रियो 2016 में सिल्वर मेडल जीतने वाली दीपा ने आगे अलफ़ाज़ साझा करते हुए कहा “हमारे अभी के कौशलपूर्ण खिलाड़ियों के अलावा हमने और भी खिलाड़ियों को ढूँढा है। हम काफी समय से इस पर काम कर रहे थे।”
“हम अंतरराष्ट्रिय प्रतियोगिताओं के दोबारा शुरू होने का इंतज़ार कर रहे हैं ताकि और अधिक खिलाड़ी क्वालिफाई हो सकें। एक बार ऐसा हो गया तो हम ज़्यादा से ज़्यादा कोटा हासिल करने की कोशिश करेंगे।"
पैरालंपिक गेम्स में भाग लेना सबसे अच्छा एहसास रहा
इस महामारी ने कमिटी को चीज़ों को बेहतर करने के लिए अधिक समय दे दिया है। ऐसे में गवर्निंग बॉडी को खेल विज्ञान और उससे जुड़े मुद्दों पर काम करने का मौका मिल गया है।
“इन हालातों में खिलाड़ियों को अपने खेल पर और ज़्यादा काम करने का भी मौका मिला है। एक फेडरेशन के तौर पर हम उन्हें सीख देने की कोशिश कर रहे हैं। हमारे ज़्यादातर खिलाड़ी गरीब घर से आते हैं। लिहाज़ा ये ज़रूरी हो जाता है कि उन्हें एथलीट क्वालिफ़िकेशन और स्पोर्ट्स न्यूट्रेशन जैसी चीज़ों के बारे में जागरूक किया जाए।”
PCI की अध्यक्ष के हिसाब से यह कार्य एक एथलीट के लिए लाभदायक होंगे और अगले साले होने वाले पैरालंपिक गेम्स के लिए बेहतर तैयारी कर पाएंगे।
दीपा ने आगे कहा “यह सबसे अच्छा एहसास है। यह सिर्फ निजी तौर पर हासिल की हुई उपलब्धि ही नहीं है बल्कि यह एहसास दस की किट पहनने का है, एक झंडे के नीचे मार्च करने का है, 1.3 बिलियन भारतियों का प्रतिनिधित्व करने का है। यह एक अलग ही भावना है।”
“मैं आशा करती हूं कि एथलीट मेहनत करते रहें साथ ही डोप और चोट से मुक्त रहें। अप उनके जीवन में एक साल ही फ़ालतू ट्रेनिंग जोड़ देते हैं। इसके लिए बहुत फोकस की ज़रूरत होती है, बहुत सारे आत्म-अनुशासन की ज़रूरत होती है। मैं बस यह चाहती हूं कि वह इसमें लगे रहें और अपने इस रवैये को बढ़ावा देते रहें।”