भारत के युवा निशानेबाज सौरभ चौधरी और अपूर्वी चंदेला निसंदेह पुरुष 10 मीटर एयर पिस्टल और महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल श्रेणी में भारत की मजबूत संभावनाएं हैं।
वे हाल के दिनों में अच्छी स्थिति में रहे जब उन्होंने टोक्यो 2020 में स्थान पक्का किया था। चंदेला ने 2018 और 2019 में दो व्यक्तिगत और एक मिश्रित टीम स्वर्ण पदक सहित सात विश्व कप पदक जीते हैं। 10 मीटर एयर राइफल में विश्व रिकॉर्ड बनाकर उन्होंने विश्व रैंकिंग में शीर्ष स्थान हासिल किया।
वहीं, महज 18 वर्षीय चौधरी ने 2018 में विश्व शूटिंग में पदार्पण के बाद से सही जगह पर निशाना साधा। वो एशियाई खेलों में 10 मीटर एयर पिस्टल में स्वर्ण पदक जीतने वाले सबसे कम उम्र के भारतीय शूटर बन गये। चंदेला की तरह चौधरी के लिए भी साल 2019 काफी महत्वपूर्ण रहा, क्योंकि इसमें उन्होंने दो विश्व कप स्वर्ण पदक जीतने के साथ एक विश्व रिकॉर्ड बनाया और रैंकिंग में सबसे ऊपर पहुंचे।
भले ही कोरोनो वायरस महामारी ने खेलों की स्थिति बिगाड़ी हो फिर भी उनके कोच अमित श्योराण का मानना है कि चौधरी टोक्यो ओलंपिक में भारत के लिए पदक हासिल करने की एक मजबूत उम्मीद है।
श्योराण ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "इस साल वह ज्यादातर घर पर अपनी शूटिंग रेंज के अंदर एक कैदी की तरह रहा था। वह बीमार नहीं पड़ जाये इस कारण परिवार वालों तक ने उससे दूरी बनाये रखी। सामने एक लक्ष्य था कि उसे केवल प्रेक्टिस करनी है।"
"उसके औसत अंकों में कुछ अंकों का सुधार हुआ है। अब वह नियमित रूप से 588 शूट करता है। जो उसे पदक का दावेदार बनाता है।"
चंदेला ने भी अपने प्रदर्शन को और धारदार बनाने के साथ अपनी राइफल के बैरल पर एक सिम्युलेटर लगाया है जो प्रशिक्षण सत्रों के डेटा को रिकॉर्ड करेगा।
नेशनल पिस्टल कोच समरेश जंग का कहना है कि, "निशानेबाजों को प्रमुख रूप से ओलंपिक में पहुंचने के लिए तैयार किया जाता है, लेकिन कोई भी इस बात का पूर्वानुमान नहीं लगा सकता कि उस दिन क्या होगा।"
उन्होंने कहा, "कभी-कभी मौके पर सभी तर्क धरे रह जाते हैं। आप एक पूरे ओलंपिक चक्र पर हावी हो सकते हैं और हर प्रशिक्षण सत्र को आसानी से पूरा भी कर लेते हैं इसके बावजूद भी यह पदक दिला दे, ऐसा जरूरी नहीं है।"
उन्होंने जर्मन राइफल शूटर सोनजा फेफिल्स्चीफटर का उदाहरण देते हुए बताया, "उन्होंने 1994 से 2010 के बीच हर विश्व चैम्पियनशिप में पदक जीता लेकिन ओलंपिक के शीर्ष तीन में भी जगह नहीं बना सके।"
जंग ने कहा, "वह पांच ओलंपिक में भाग लेने के बावजूद एक भी पदक नहीं जीत सकी। (राजमंड) डेबेवेक ने अपने चौथे प्रयास में ओलंपिक में पदक जीता, लेकिन तब विजय (कुमार) जैसे लोग भी थे, जिनको विश्व पटल कोई नहीं जानता था और उसने पहले ओलंपिक (2012 में) में ही रजत पदक पर कब्जा जमाया।"
हालांकि, श्योराण को लगता है कि चौधरी को अपनी फार्म में लौटने के लिए छह महीने का समय लगेगा।
कोच ने कहा "सौरभ की मानसिकता एक 'योगी' की तरह है। वह निराशा से तेजी से उबरना जानता है। उसका ध्यान भौतिक लक्ष्यों पर केंद्रित नहीं रहता। इस कारण मुझे विश्वास है कि वह 2021 में उछालभरी वापसी करते हुए इस साल की तरह ओलंपिक में एक पदक हासिल करने की उम्मीद को पूरा करेगा।"