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प्रो में जाने से पहले हरियाणा के युवा ने ओलंपिक और विश्व चैंपियनशिप में सफलता के साथ भारतीय मुक्केबाजी को विश्व मानचित्र पर दी थी जगह
WBO ओरिएंटल और WBO एशिया पैसिफिक सुपर मिडिलवेट चैंपियन विजेंदर सिंह (Vijender Singh) अगले महीने पेशेवर मुक्केबाजी में वापसी करेंगे। हालांकि अभी उनके प्रतिद्वंद्वी और मुकाबले के स्थान का खुलासा नहीं हो पाया है।
ओलंपिक में पदक जीतने वाले पहले भारतीय मुक्केबाज विजेंदर ने 2015 में पेशेवर मुक्केबाजी की ओर रुख किया था। उन्हें अभी तक 12 प्रो मुकाबलों में जीत दर्ज की और आठ मुकाबले नॉकआउट दर्ज हैं।
प्रो में जाने से पहले हरियाणा के मुक्केबाज ने ओलंपिक, विश्व चैंपियनशिप और राष्ट्रमंडल खेलों जैसे बड़े आयोजनों में अपना दमखम दिखाया था।
2008 में बीजिंग में 75 किलोग्राम भारवर्ग के क्वार्टर फाइनल मुकाबले में इक्वाडोर के कार्लोस गोंगोरा (Carlos Gongora) को पछाड़ने के बाद विजेंदर सिंह ने ओलंपिक में पदक जीतने वाले पहले भारतीय मुक्केबाज बने थे।
भिवानी के मुक्केबाज़ विजेंदर मुकाबले के सभी चार राउंड में अपने इक्वाडोरियन प्रतिद्वंद्वी से आगे थे। उन्होंने 9-4 के अंतिम स्कोर के साथ प्रशावशाली जीत दर्ज की। भारतीय बॉक्सर ने बाएं हाथ के जाॅब और अपरकट्स का मिश्रण मारते हुए प्रतिद्वंद्वी को पीछे छोड़ दिया।
हालांकि, गोंगोरा अंतिम राउंड में स्कोर के अंतर को कम करने के नजदीक भी पहुंच गए, लेकिन भारतीय को पछाड़ने में नाकाम रहे।
उस समय वर्ल्ड में नंबर 1 विजेंदर सिंह ने 2010 के ग्वांगझू एशियाई खेलों के 75 किग्रा भारवर्ग में स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया था। उन्होंने फोशन जिम्नेजियम में उज्बेकिस्तान के विश्व चैंपियन अब्बास अतायोव (Abbos Atoev) को 7-0 से हराया।
इस जीत के साथ विजेंदर ने विश्व चैम्पियनशिप के सेमीफाइनल में अतायोव के खिलाफ मिली हार का बदला ले लिया। हालांकि विजेंदर के लिए दो बार के विश्व चैंपियन का सामना करना बहुत मुश्किल चुनौती थी और इससे भी ज्यादा परेशानी की बात ये थी कि उसे टूटे हुए बाएं अंगूठे के साथ मुकाबला करना था।
भारतीय ने बैकफुट पर रहते हुए शुरूआत की, क्योंकि अतायोव ने विजेंदर के बाएं अंगूठे को निशाना बनाया था। हालांकि इससे उसका आत्मविश्वास नहीं अटूट और उसने अपने दाहिने हाथ का उपयोग करके अपने प्रतिद्वंदी बॉक्सर को पछाड़ते हुए मुकाबला जीत लिया।
विजेंदर सिंह ने लंदन ओलंपिक खेलों के पुरुषों के मिडिलवेट 75 किलोग्राम भारवर्ग में अमेरिका के प्रतिद्वंद्वी टेरील गौशा (Terrell Gausha) को रोमांचक मुकाबले में 16-15 के साथ हराते हुए के क्वार्टर फाइनल में प्रवेश किया।
विजेंदर ने पहले राउंड के बाद धीमी बढ़त बना ली थी, लेकिन उनके प्रतिद्वंद्वी ने तुरंत जवाबी हमला किया और दूसरे राउंड के अंत में स्कोर 5-5 से बराबर कर दिया।
हालांकि, भारतीय ने अंतिम दौर में अधिक हमलावर दृष्टिकोण अपनाते हुए जीत हासिल की।
विजेंदर ने तंजानिया के अनुभवी फ्रांसिस चेका (Francis Cheka) को हराकर प्रो बॉक्सिंग में लगातार आठवीं जीत दर्ज की।
एकतरफा मुकाबले में हरियाणा के मुक्केबाज ने 10 मिनट के भीतर अपने WBO एशिया पैसिफिक सुपर मिडिलवेट खिताब का बचाव किया। प्रतियोगिता में तीसरा राउंड निर्णायक था क्योंकि विजेंदर ने चेका पर खतरनाक मुक्कों का प्रहार करते हुए जीत सुनिश्चित की।
विजेंदर सिंह ने चीनी प्रतिद्वंदी जुल्पिकार मैमाताली (Zulpikar Maimaitiali) को हराकर मुंबई के 2017 में हुए WBO एशिया पैसिफिक सुपर मिडिलवेट खिताब पर कब्जा बरकरार रखा। इस जीत के साथ प्रो बॉक्सिंग में का उनका कद और बढ़ गया।
जीत के आधार पर विजेंदर ने चीनी प्रतिद्वंदी से WBO ओरिएंटल सुपर मिडिलवेट खिताब भी छीन लिया, जो उनसे नौ साल छोटा है। इस तरह उन्होंने अपने पेशेवर करियर में लगातार नौवीं जीत दर्ज की।
घरेलू दर्शकों के सपोर्ट से विजेंदर अपने खेल में सबसे ऊपर थे। क्योंकि, उन्होंने मुश्किल परिस्थितियों से बाहर निकलने के लिए अपने अनुभव का उपयोग किया था। उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी के चेहरे पर सीधे हुक का प्रहार करने के लिए लम्बाई का भी भरपूर फायदा उठाया। हालांकि, चीनी प्रतिद्वंदी ने रक्षात्मक रूख अपना रखा था, लेकिन भारतीय बॉक्सर का सामना करने में विफल रहा।
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